🌸 ब्रज चौरासी कोस यात्रा – एक दिव्य अनुभव जो आपको श्रीकृष्ण की लीलाभूमि में ले जाता है। यह यात्रा आपको वृंदावन, बरसाना, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव जैसी पवित्र स्थलों से जोड़ती है जहाँ हर कदम पर भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है। मन को छू लेने वाले भजन, मंदिर दर्शन, यमुना पूजन और गोवर्धन परिक्रमा के साथ यह यात्रा आपके जीवन की एक अविस्मरणीय भक्ति यात्रा बन जाएगी। 🛕🌿✨
🗺️ यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी 🗺️
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10 Days
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1999
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17999
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25 मई, 25 जुलाई 2025
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बृज क्षेत्र
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AC वाहन
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AC होटल
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50+ मंदिर
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~250 किमी
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वर्षभर, विशेषतः धार्मिक पर्वों में
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तीन समय चाय, एक नाश्ता, दो समय भोजन
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आधार कार्ड अनिवार्य
📖 यात्रा विवरण (Trip Description):
बृज चौरासी कोश यात्रा, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की दिव्य लीलाओं की भूमि — बृजधाम की पवित्र परिक्रमा है। यह यात्रा भक्तों को वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन, मथुरा, रावल, गोकुल, और कई अन्य पवित्र स्थलों की यात्रा पर ले जाती है, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। 84 कोश (लगभग 252 किलोमीटर) की यह यात्रा श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का अनूठा संगम है।
यह यात्रा केवल स्थल-दर्शन नहीं है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने वाली एक आध्यात्मिक अनुभूति है। अनुभवी गाइड्स, कीर्तन, सत्संग, कथा और संकीर्तन के माध्यम से इस यात्रा को संपूर्ण बनाया जाता है।
✨मुख्य आकर्षण (Trip Highlights):
- वृंदावन, बरसाना, गोवर्धन, नंदगांव, मथुरा, गोकुल आदि पवित्र स्थलों का दर्शन
- संपूर्ण 84 कोश की पारंपरिक परिक्रमा
- संकीर्तन और कथा कार्यक्रमों के साथ आध्यात्मिक वातावरण
- राधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा
- अनुभवी धर्मगुरुओं और गाइड्स द्वारा मार्गदर्शन
- हर दिन भजन, ध्यान और सत्संग का आयोजन
- शुद्ध शाकाहारी भोजन और आरामदायक आवास व्यवस्था
- समूह में भक्ति का आनंद और नई आध्यात्मिक मित्रता
📅 यात्रा कार्यक्रम (Itinerary) — बृज चौरासी कोश यात्रा
आपका स्वागत है श्री राधे-श्याम की भूमि — श्रीधाम वृंदावन में। सभी यात्रियों का निर्धारित स्थान पर आगमन होगा, जहाँ हमारी टीम द्वारा आत्मीय स्वागत किया जाएगा। इसके पश्चात होटल में चेक-इन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
दिन के शेष समय में आप वृंदावन के पावन वातावरण का अनुभव कर सकते हैं, साथ ही यदि समय अनुकूल रहा तो हम बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, और इस्कॉन मंदिर के दर्शन भी कराएंगे। संध्या काल में सभी यात्री संकीर्तन और आरती में भाग लेंगे।
रात्रि विश्राम: वृंदावन के एक शुद्ध और भक्तिमय होटल में।
प्रातः काल नाश्ते के उपरांत हम सभी मिलकर पावन यमुना जी का विधिवत पूजन करेंगे। इसके बाद वृंदावन के प्रमुख और दिव्य स्थलों की यात्रा आरंभ होगी।
सबसे पहले चलेंगे गोपेश्वर महादेव मंदिर, जहाँ भगवान शिव ने गोपी रूप धारण किया था। फिर दर्शन करेंगे निधिवन, जहाँ राधा-कृष्ण की रासलीलाएं आज भी रात्रि में होती हैं – एक रहस्यमयी और अलौकिक स्थान।
इसके पश्चात जाएंगे रंगनाथ मंदिर, दक्षिण भारतीय शैली में बना भव्य विष्णु मंदिर। इसके बाद बांके बिहारी मंदिर में श्री ठाकुरजी के दर्शन कर मन को भक्ति से भरेंगे।
दोपहर के भोजन के बाद यात्रा बढ़ेगी मानसरोवर की ओर, जहाँ श्री राधा रानी ने भाव-विलास किया था। फिर दर्शन करेंगे भाडेर बन, जो महर्षि भृगु से संबंधित है। अंतिम पड़ाव होगा बेल वन, जहाँ गोपियों ने श्रीकृष्ण से मिलने की मनोकामना की थी।
रात्रि विश्राम: वृंदावन के उसी भक्तिमय वातावरण में।
प्रातः नाश्ते के पश्चात आज की यात्रा शुरू होगी बृज क्षेत्र के एक और अत्यंत पावन स्थल लोहवन से, जो श्रीकृष्ण की अनेक बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है। इसके बाद चलेंगे रावल, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था और दाऊजी मंदिर, जो बलराम जी को समर्पित है।
फिर दर्शन करेंगे राधारानी के जन्म स्थान – बरसाना के समीप स्थित रावल गाँव में स्थित पवित्र स्थल। इसके पश्चात चलेंगे चिन्ताहरण महादेव के दर्शन के लिए, जहाँ भगवान शिव भक्तों की सारी चिंताओं का हरण करते हैं।
इसके बाद अनुभव करेंगे रमनरेती का, जहाँ श्रीकृष्ण बाल्यावस्था में रेत में खेला करते थे। यहीं पास में स्थित है गोकुल, श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की भूमि — नंद बाबा का घर, यशोदा माँ का स्नेह और गोपालक बालक का अद्भुत दर्शन।
फिर दर्शन होंगे बन्दरावली के, जहाँ श्रीकृष्ण ने वानरों से प्रेम किया था। इसके बाद पागल बाबा मंदिर, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है।
अंत में पहुँचेंगे अक्रूर पाट, जहाँ अक्रूर जी श्रीकृष्ण को मथुरा ले जाने आए थे — यह स्थल अत्यंत भावुक और ऐतिहासिक महत्व का है।
रात्रि विश्राम: वृंदावन / गोकुल क्षेत्र में।
आज की यात्रा का प्रारंभ होगा मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से। सबसे पहले चलेंगे पवित्र विश्राम घाट, जहाँ श्रीकृष्ण ने कंस वध के पश्चात विश्राम किया था। यमुना के तट पर स्थित यह घाट भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
इसके पश्चात दर्शन करेंगे द्वारिकाधीश मंदिर, जो मथुरा का सबसे भव्य और प्रमुख मंदिरों में से एक है। फिर चलेंगे घुव टीला, जो प्राचीन श्रीकृष्ण लीलाओं से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है।
इसके बाद सबसे पावन स्थल – श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन होंगे, जहाँ भगवान ने कंस की जेल में जन्म लिया था। यह स्थान हर भक्त के लिए अत्यंत भावनात्मक और आस्था से जुड़ा होता है।
दोपहर के पश्चात दर्शन होंगे भूतेश्वर महादेव मंदिर के, जो मथुरा के रक्षक के रूप में पूजित हैं। फिर जाएंगे सुंदर और शांत बिड़ला मंदिर, जो आधुनिक स्थापत्य और आध्यात्मिकता का सुंदर संगम है।
इसके बाद चलेंगे जयपुर मंदिर, जो अपनी नक्काशी और राजस्थानी स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। दिन का अंतिम पड़ाव होगा कांच मंदिर, जहाँ शीशे की कलाकृति और भक्ति का अद्भुत संयोग देखने को मिलेगा।
रात्रि विश्राम: मथुरा में किसी पवित्र एवं सुविधाजनक धर्मशाला या होटल में।
आज का दिन समर्पित है श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला को। दिन की शुरुआत होगी गोवर्धन स्थित राजा कुण्ड के दर्शन से, इसके बाद चलेंगे श्याम कुण्ड और राधा कुण्ड, जिन्हें बृज भूमि के सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है। यहाँ स्नान करने मात्र से तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है।
फिर पहुँचेंगे मनमोहक कुसुम सरोवर, जहाँ राधा रानी श्रीकृष्ण के लिए फूल चुनने आती थीं। इसके पश्चात दर्शन होंगे मानसी गंगा के, जिसे श्रीकृष्ण की इच्छा से उत्पन्न माना गया है।
फिर चलेंगे दानघाटी मंदिर, जहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों से दान लिया था — यह स्थल गोवर्धन की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक है। आगे बढ़ते हुए दर्शन होंगे गोविन्द कुण्ड, जो इंद्रदेव के पश्चाताप स्वरूप निर्मित हुआ था।
इसके पश्चात चलेंगे पूंछरी का लौठा, गोवर्धन पर्वत के अंतिम छोर पर स्थित एक विशिष्ट स्थल, जहाँ श्रद्धालु परिक्रमा पूर्ण करते हैं। फिर दर्शन करेंगे मुखारविन्द, जहाँ श्री गोवर्धन महाराज के मुख स्वरूप की पूजा होती है।
यात्रा जारी रहेगी चकलेश्वर महादेव और जतीपुरा के दर्शन के साथ, जहाँ गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व है। फिर पहुँचेंगे उद्धव कुण्ड, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय उद्धव जी ने साधना की थी।
इसके पश्चात चलेंगे राधारानी की ननिहाल – मुखराई, यह स्थल राधाजी की बाल लीलाओं से जुड़ा है। फिर दर्शन होंगे ललिता कुण्ड के, जो राधाजी की सखी ललिता से संबंधित है।
अंत में पहुँचेंगे कालीदह, जहाँ श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का दमन किया था, और दिन का समापन होगा मदनमोहन मंदिर में, जो भगवान कृष्ण के प्रारंभिक मंदिरों में से एक है और अत्यंत प्राचीन है।
रात्रि विश्राम: गोवर्धन क्षेत्र में।
आज का दिन विशेष रूप से समर्पित है भारत के चार पवित्र धामों के दर्शन को, जो हर भक्त की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं। यह एक दिव्य अनुभूति और गहन आध्यात्मिक अनुभव से परिपूर्ण दिन होगा।
यात्रा का आरंभ होगा श्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन से — भगवान विष्णु के इस दिव्य धाम में स्थित है तप्त कुण्ड, जहाँ स्नान कर भक्तगण आत्मशुद्धि का अनुभव करते हैं।
इसके पश्चात चलेंगे श्री केदारनाथ धाम, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव का अत्यंत पावन धाम है। यहाँ की यात्रा भक्तों के लिए जीवन का पुण्य फल मानी जाती है। दर्शन से पूर्व गौरी कुण्ड में स्नान कर शुद्ध होकर यात्रा की जाती है।
फिर चलेंगे गंगोत्री, जहाँ माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। यहाँ की दिव्यता हर यात्री के मन को निर्मल कर देती है। उसके बाद यात्रा होगी यमुनोत्री, जो माँ यमुना का उद्गम स्थल है और चारधाम यात्रा का प्रथम चरण माना जाता है।
इसके पश्चात दर्शन होंगे विमल कुण्ड, जो अपने पवित्र और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, तथा जहां भक्त ध्यान और साधना करते हैं। दिन का समापन होगा कामेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन से, जो भगवान शिव के एक सौम्य और कल्याणकारी स्वरूप को समर्पित है।
यह दिन भक्तों को चारधाम के दिव्य दर्शन से आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
रात्रि विश्राम: चारधाम क्षेत्र या वापसी स्थान पर।
आज की यात्रा राधारानी की लीलाओं से जुड़ी पावन स्थली बरसाना और आसपास के आध्यात्मिक स्थलों की ओर होगी। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो श्री राधा-कृष्ण की माधुर्य लीलाओं को हृदय से अनुभव करना चाहते हैं।
🔹 बरसाना: यह राधारानी का जन्मस्थान है और प्रेम-भक्ति का केंद्र माना जाता है। यहाँ का वातावरण भक्तिरस से सराबोर होता है।
🔹 राधारानी मंदिर: बरसाना की पहाड़ी पर स्थित यह भव्य मंदिर राधारानी को समर्पित है। मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ते समय ही एक अलौकिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
🔹 ललिता सखी मंदिर: राधाजी की प्रमुख सखी ललिता जी को समर्पित यह मंदिर, उनके प्रेम और सेवा भावना का प्रतीक है।
🔹 मानगढ़: यहाँ राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाएं होती थीं और यह स्थान दिव्य ऊर्जा से युक्त है।
🔹 दानगढ़: इस स्थान पर श्रीकृष्ण ने गोपियों से माखन और दही का दान माँगा था। यह स्थल रासलीला की अनेक कथाओं से जुड़ा हुआ है।
🔹 घेवरवन: यह वन श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं का साक्षी रहा है। शांत वातावरण और हरियाली मन को मंत्रमुग्ध कर देती है।
🔹 मोस्कुटी: यह एक अनुपम स्थल है जहाँ भक्त ध्यान और साधना में लीन होते हैं।
🔹 टेर कुण्ड: यह पवित्र कुण्ड श्रीकृष्ण द्वारा की गई रासलीलाओं से जुड़ा है।
🔹 ISKCON टेम्पल (बरसाना या वृंदावन): इस्कॉन द्वारा निर्मित यह मंदिर अत्यंत आधुनिक और भक्तिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।
🔹 वैष्णो देवी मंदिर (स्थानीय): माँ शक्ति की इस प्रतिकृति के दर्शन भक्तों को अद्भुत ऊर्जा से भर देते हैं।
🔹 अक्षय पात्र (फूड सेवा स्थल): यह संस्था विशाल भंडारा चलाती है और भक्तों को शुद्ध सात्विक भोजन उपलब्ध कराती है।
रात्रि विश्राम: बरसाना या वृंदावन क्षेत्र में।
आज की यात्रा आपको श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की स्मृतियों से जोड़ने वाली नन्दगांव और उसके आसपास की पावन स्थलों की ओर ले जाएगी। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और रसपूर्ण स्थलों के दिव्य अनुभवों से परिपूर्ण रहेगा।
🔹 नन्दगांव – नन्द महल: श्रीकृष्ण के पालक पिता नन्द बाबा का निवास स्थान। यहाँ श्रीकृष्ण का बचपन बीता और उनकी कई लीलाएं यहीं सम्पन्न हुईं। नन्द महल आज भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।
🔹 चरण पहाड़ी: यह वह स्थल है जहाँ श्रीकृष्ण के चरणों के चिन्ह आज भी शिलाओं पर अंकित माने जाते हैं।
🔹 शीतल छाया: श्रीकृष्ण और गोपियों की विश्राम स्थली। यहाँ का शीतल वातावरण मन को अत्यंत शांति प्रदान करता है।
🔹 आशेश्वर महादेव: इस प्राचीन शिव मंदिर में भगवान आशेश्वर महादेव की उपासना की जाती है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने श्रीकृष्ण की लीलाओं का दर्शन करने के लिए वास किया था।
🔹 संकेत वन: यह स्थान श्रीकृष्ण और राधारानी के मिलन की गोपनीय स्थली मानी जाती है।
🔹 कोकिन बन: रासलीलाओं की भूमियों में से एक, यह स्थल गोपियों के साथ श्रीकृष्ण की विविध लीलाओं से जुड़ा है।
🔹 टेर कटम्ब: यह वह स्थल है जहाँ श्रीकृष्ण ने रास रचाया और गोपियों के साथ लीलाएं कीं।
🔹 पावन सरोवर: यह सरोवर अत्यंत शांत और दिव्य ऊर्जा से युक्त है। यहां स्नान करने से मन की पवित्रता अनुभव होती है।
🔹 प्रेम मंदिर (वृन्दावन): यात्रा का समापन प्रेम और भक्ति से परिपूर्ण इस भव्य मंदिर में होगा। यहाँ श्री राधा-कृष्ण की झाँकियाँ और रात्रिकालीन लाइट शो अत्यंत मनोहारी होते हैं।
रात्रि विश्राम: वृन्दावन/नन्दगांव क्षेत्र में।
आज का दिन राधा-कृष्ण की रास लीलाओं और ब्रज के अनूठे धार्मिक स्थलों के दर्शन हेतु समर्पित है। यह दिन भक्तिभाव और ऐतिहासिक स्थलों की गहराई से जुड़ाव का अवसर प्रदान करता है।
🔹 राधा माधव मंदिर – राधारानी और श्रीकृष्ण की संयुक्त भक्ति का प्रतीक, यह मंदिर भक्ति, प्रेम और रास की ऊर्जा से भरपूर है।
🔹 द्वारिकापुरी – वृन्दावन की पावन भूमि में स्थित द्वारिकापुरी श्रीकृष्ण के लौकिक स्वरूप की स्मृति को संजोए हुए है।
🔹 शेषशायी भगवान विष्णु मंदिर – भगवान विष्णु की यह अनुपम मूर्ति शेषनाग पर शयन करते हुए दर्शाई गई है।
🔹 क्षीर सागर – यह पौराणिक स्थल ब्रह्मांड की उत्पत्ति और भगवान विष्णु के क्षीर सागर निवास की झलक देता है।
🔹 नन्दवन – श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का केंद्र, जहाँ उन्होंने अपने सखाओं संग अनेक क्रीड़ाएं की थीं।
🔹 खेलन वन – श्रीकृष्ण का प्रिय खेल क्षेत्र जहाँ बाल लीलाएं रची गईं।
🔹 बिहार वन – रास एवं रासेश्वरी श्री राधारानी की विशेष लीलाओं से जुड़ा स्थान।
🔹 एचादाऊ – एक शांत स्थान जहाँ ध्यान और ध्यानपूर्वक दर्शन के लिए विशेष माहौल है।
🔹 अलय बट – वृक्षों और प्रकृति के मध्य स्थित यह स्थल गहन भक्ति की अनुभूति कराता है।
🔹 असली चीर घाट – यहीं श्रीकृष्ण ने गोपियों के वस्त्र वृक्ष पर रख दिए थे। यह स्थल रास और लज्जा की लीलाओं का मुख्य केंद्र है।
🔹 कात्यायिनी देवी मंदिर – यहाँ गोपियों ने कात्यायिनी देवी से श्रीकृष्ण को वर रूप में पाने की प्रार्थना की थी। यह मंदिर शक्ति और प्रेम दोनों का अद्भुत संगम है।
रात्रि विश्राम: वृन्दावन क्षेत्र में।
बृज चौरासी कोश की इस आध्यात्मिक यात्रा का अंतिम दिन श्रद्धा, पूजन और समर्पण से परिपूर्ण रहेगा। वृन्दावन धाम की दिव्यता को पुनः हृदय में समेटते हुए सभी यात्री इस पवित्र यात्रा का संकल्प पूर्ण करेंगे।
🔹 यमुना पूजन (वृन्दावन) – श्री यमुना मैया के तट पर विशेष पूजन और आरती। जीवन में बहते शुभता के प्रवाह का आह्वान।
🔹 वृन्दावन धाम की सामूहिक परिक्रमा – वृन्दावन की पवित्र धरा की सामूहिक परिक्रमा के माध्यम से सभी तीर्थस्थलों को नमन।
🔹 यात्रा पूर्ण संकल्प – सभी यात्री इस ब्रजमंडल यात्रा के सफल समापन का संकल्प लेकर प्रभु चरणों में कृतज्ञता अर्पित करेंगे।
🔹 दोपहर भोजन – एक साथ भक्ति भाव से किया गया प्रसादी भोजन।
🔹 स्वगृह प्रस्थान – भावुक विदाई के साथ सभी यात्री अपने-अपने गंतव्यों की ओर प्रस्थान करेंगे।
विशेष:
यह दिन आत्मचिंतन, संतोष और प्रभु के प्रति समर्पण का संदेश लेकर आता है। यात्रा की स्मृतियाँ जीवन भर साथ रहेंगी।
🙏 ब्रज की इस अलौकिक यात्रा में सम्मिलित होकर आपने प्रभु की भक्ति का मार्ग अपनाया – इसके लिए आपका हृदय से धन्यवाद।
✨ सेवाओं का विवरण : क्या शामिल है और क्या नहीं ✨
✅ यात्रा शुल्क में शामिल सेवाएं (Cost Includes):
- ए.सी. फोर बेडरूम होटल में ठहरने की व्यवस्था
- पूरी यात्रा के लिए ए.सी. छोटी गाड़ियों की सुविधा
- प्रतिदिन तीन बार चाय
- एक बार सुबह नाश्ता
- दोपहर एवं रात्रि का शाकाहारी भोजन (दाल, सब्ज़ी, बासमती चावल, रोटी)
- रोटी और दाल में शुद्ध देशी घी का प्रयोग
- पूड़ी और नाश्ते में रिफाइंड तेल का प्रयोग
- भोजन के साथ पापड़, चटनी, अचार (उपलब्धता अनुसार)
- पूर्ण तीर्थ यात्रा प्रबंधन और धर्मिक सेवा
- डाक द्वारा अग्रिम बुकिंग रसीद भेजना
- अनुभवी मार्गदर्शक की उपस्थिति
- स्वच्छता और सात्विकता का पूर्ण ध्यान
- बिना प्याज-लहसुन का शुद्ध सात्विक भोजन
❌ यात्रा शुल्क में शामिल नहीं है (Cost Excludes):
- यात्रा के दौरान व्यक्तिगत खर्च (जैसे – प्रसाद, पूजा सामग्री, खरीदारी आदि)
- मेडिकल इमरजेंसी या व्यक्तिगत चिकित्सा खर्च
- किसी प्रकार की बीमा सुविधा
- विशेष दर्शन अथवा वैकल्पिक गतिविधियों के शुल्क (जैसे हेलीकॉप्टर सेवा आदि)
- होटलों में अतिरिक्त बिस्तर या व्यक्तिगत सेवाएँ (Room Service, Laundry, आदि)
- यात्रा के दौरान शराब, सॉफ्ट ड्रिंक्स अथवा अन्य पेय पदार्थ
- यात्रा से पहले या यात्रा के बाद का परिवहन (स्वपाम प्रस्थान तक ही सुविधा)
- मोबाइल/कैमरा शुल्क (यदि मंदिर या स्थल पर लागू हो)
- मार्ग में किसी अतिरिक्त गतिविधि का शुल्क जो पैकेज में उल्लेखित नहीं है
- किसी कारणवश यात्रा छोड़ने की स्थिति में वापसी यात्रा या रिफंड का प्रावधान नहीं
❓अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
यह यात्रा कुल 10 दिनों की होती है, जिसमें वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव आदि प्रमुख स्थलों का भ्रमण होता है।
AC होटल में ठहराव, AC गाड़ियों द्वारा यात्रा, तीन बार चाय, एक बार नाश्ता, दो बार भोजन (देशी घी व बासमती चावल सहित), गाइड सुविधा आदि शामिल हैं।
हाँ, यात्रा में प्याज-लहसुन रहित शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन ही दिया जाता है।
₹2000 अग्रिम नकद/ड्राफ्ट द्वारा “हरि शिवशंकर तीर्थ यात्रा कम्पनी रजि” हिण्डौन सिटी के हेड ऑफिस में जमा करें। रसीद डाक से भेजी जाएगी।
सामान्य प्राथमिक चिकित्सा सुविधा यात्रा के दौरान उपलब्ध होगी। आवश्यक दवाइयाँ यात्री स्वयं साथ लाएं।
1 चद्दर, 1 लोटा, 1 चम्मच, कपड़े, पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड एवं अपनी आवश्यक दवाइयाँ साथ लाना अनिवार्य है।
हाँ, यह यात्रा आरामदायक वाहनों और अच्छे होटल ठहराव के कारण बुजुर्गों के लिए भी उपयुक्त है। हालांकि, कुछ स्थानों पर पैदल यात्रा हो सकती है।
हाँ, अनुभवी धार्मिक गाइड द्वारा हर प्रमुख स्थल पर मार्गदर्शन और जानकारी दी जाती है।
🗺️ यात्रा मार्गदर्शिका (Map Section) 🌐
